यही बहार है दुनीया को भुल जाने की खुशी मनानेकी|
ये प्यारे प्यारे नजारे, ये ठंडी ठंडी हवा, ये हल्का हल्का नशा, ये कोयलोंकी सदा, निकलके आ गयी रुत मस्तीयां लुटानेकी खुषी मनानेकी||
Friday, February 2, 2007
AGAR JANNANT KAHI HAI TO YAHI HAI YAHI HAI YAHI HAI
Beautiful reflections of India, Harekrishnaji! You do a wonderful job...
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